Dara(डारा जाट)
जानकारी
- डारा जाट
* डारा गोत्र अरोड़ा खत्री समुदाय से है।महान गोत्रों के अनुसार डारा ( खत्री) सूर्यवंशी है और भगवान राम के वंशज भी है। डारा श्त्रीय वर्ग में आते है। अधिकांश डारा गोत्र के लोग दोहरे विश्वास वाले हिंदू है।
* वे हिंदू और सिख दोनो धर्मो को मानते है। वे बहुत पढ़े लिखे और अच्छे लोग है। वे भारत और दुनिया में एक प्रभावशाली समुदाय बनने में भी कामयाब रहे है।
* 19 अगस्त 1947 , इतिहास का वह दिन जिसने देशवासियों को ऐसी पीड़ा di ki ve ise kabhi nahi भूल पाएंगे । इस दिन भारत को दो भागों में बाटा गया था।
* देश के भूगोल समाज और संस्कृति के कई टुकड़े हो गए थे। यह अरोड़ा खत्री और सीखो के लिए सबसे कठिन दौर था।
* जब उन्हें अपनी जमीन जायदाद और अपनी को छोड़कर जाना पड़ा। आजादी से पहले ही हमारे देश के मुसलमान अपने लिए अलग देश चाहते थे, लेकिन विभाजन इतना भी आसान नहीं था।
* कई अरोड़ा खत्री एवम सीखी के मोहल्लों पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया था और महिलाओं पर भी अत्याचार किए गए थे।
* उसके बाद भी उनके जीवन का सफर इतना आसान नहीं था।
* उन्हें घर के बचे हुए जीवित सदस्यों के साथ नई जगह, नए लोगो और नए व्यवसाय से जीवन की दोबारा शुरुआत करनी थी। लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी, किसी भी काम को छोटा या बड़ा नही समझा।
* आज वे न केवल अपने लिए बल्कि अपने समाज एवम देश की दुनिया में उच्च स्थान पहुंचने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है।
* डारा भारत के सभी क्षेत्रों में रहते है, लेकिन ज्यादातर पंजाब , हरियाणा, दिल्ली और उन्होंने भारतीय संस्कृति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज डारा प्रोधोनिक, चिकित्सा , वित व्यवसाय, इंजीनियरिंग, निर्माण, मनोरंजन ओर शस्त्र बाल आदि कई क्षेत्रों में अपना ध्वज फहरा रहे है।
* डारा लोग अन्य जातियों के बारे में बहुत स्कारात्मक है।
* डारा लोग सच्चे नागरिक है। डारा काफी मिलनसार होते है। ओर जब हम दोस्ती और मानवता की बात करते है तो डारा जाति को पाते है। वे खुले दिल से सभिनको स्वीकार करते है।
* डारा इतने उदार और मस्त रहने वाले की वे पूरी दुनिया में कहीं भी अपनी छाप छोड़ जाते है।
* पंजाब कल्चर में डारा गोत्र
* डारा गोत्र के लोग में मजबूत पंजाबी संस्कृत पाई जाती है। आसाधारण , दुनिया भर में लोकप्रिय पंजाबी संस्कृति वास्तव में जबरदस्त है।
* रंगीन कपड़े, ढोल और भांगड़ा अत्यंत ऊर्जावान और जीवन से भरपूर है। वे स्वादिष्ट भोजन , संगीत, नृत्य और आनंद के साथ त्योहारों को बड़े उत्साह के साथ मानते है। पंजाबी खाना जायके और मसालों से भरपूर होता है। रोटी पर घी ज्यादा होना , खाने को और स्वादिष्ट बना देता है।
- इतिहास
इस गोत्र के लोग राजस्थान के क्षेत्र में आबाद है।
* इतिहासकारों को विचार है कि इस गोत्र के लोगोबका वर्णन यूनान में डरी जाटों के रूप में मिलता है।
* सम्भत:- भारत में वे ही डारा कहलाए। इसका यह अभिप्राय कभी नहीं लिया जा सकता है कि वे विदेशी है। क्योंकि अन्य जाट क्षत्रियो की भांति ये भी विदेशी में भारत से ही गए है और अनुकूल प्रिस्थितियो वश पुनः अपने पैतृक देश भारत लोट आए।
- समाजसेवी जन
* श्री सोहनलाल डारा रूप विलाय गणेश चौक शाता नाड़ा जोधपुर , ग्राम सेवक के पद पर कार्यरत है।
* श्री रघुनाथ जी डारा, श्री दानाराम जी डारा मु० पो० भुसावल, प्रारंभ में मारवाड़ के पर्वतसर के गांव गुलर के निवासी है।
* यह भुसावल गांव हरदा व सिवनी तहसील में है। यह इस गोत्र के जाट आबाद है। गांव सरसों तहसील मकराना जिला नागौर डारा गोत्र के जाति का गांव है।
* श्री सोहनसिंह डारा ग्राम रोरू छोटी पो० शेरू बड़ी सीकर।