Gadad(गादड़ जाट)
जानकारी
- गादड़ जाट
गदर ( गादड़ ) गदड गोत्र महाराष्ट्र में पाए जाते है और राजस्थान , गदर (गादड़) जाट उत्तर प्रदेश में रहते है। गदरी जाट वंश अमृतसर पंजाब में पाया जाता है। यह गदरी का एक प्रकार है। हिमाचल में गिद्दर कहा जाता है।
- मूल
गदर वे लोग है जिनका उल्लेख भारतीय साहित्य में गांधार के रूप में किया गया है।
फ़ारसी शिलालेखो और गटिक में भी उनका उल्लेख गदराई के रूप में किया गया है।
वे मेगसथनीज के गेडरोसी ओर यूनानियों के प्राचीन ग्रेडोसाई है।
गदर नदी जो उर्मिया झील में बहती है।
इस गोत्र के जाट राजस्थान के क्षेत्रों में उपलब्ध है। इन्हे गादड क्यों कहा जाता है इसका हमे नहीं पता चल सका है।गांव ककड़ेऊ कलम जिला झुंझुनू के चौ० सोहनलाल गादड पुत्र भी उभरा राम गादड एक अच्छे समाजसेवी व्यक्ति है।
- इतिहास
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर शहर की स्थापना इसी कबीले ने की थी।
गिदर बलूचिस्तान की जनजातियों के बीच गिदोर और ग्दारा के रूप में फिर से प्रकट होंगे ,जो यूनानियों के प्राचीन गेडरोसाई के प्रतिनिधित्व है।
ठाकुर देशराज लिखते है कि सामोता अपने साथी गदर जाटों के साथ सिंघ और पंजाब के बीच के क्षेत्र में बसे और वे राजस्थान चले गए। अब खंडेलावटी और झुनझुनावती में रहते है।
मेगास्थनीज सिंधु से परे, चार क्षत्रप, गेदरोसी अराचोटे, अली पारिपामिसादे कोपीस नदी को अपनी सबसे दूर दूर की सीमा बनाते हुए।
बागड़ी जाटों में कुछ ऐसे वर्ग है जो कुलदेवतावादी प्रतीत हो सकते है । लेकिन बहुत कम ही कुलदेवता के प्रति कोई श्रद्धा व्यक्त की जाती है। ऐसे है गिदर, एक सियार, तहसील हांसी, हिसार हरियाणा में ।
गादव वे लोग है जिनका उल्लेख भारतीय साहित्य में गांधार लोगो के रूप में किया गया है। फ़ारसी शिलालेखे ओर गतिक में भी उनका उल्लेख गदराई के रूप में किया गया है।
- जाटों का विदेशों में जाना
उत्तरोत्तर संख्या वृद्धि के साथ ही वंश वृद्धि भी होती गई और प्राचीन जातियों में से एक एक के सैकडो वंश हो गए। साम्राज्य की लपेट से बचने के लिए कृष्ण ने इनके सामने भी यही प्रस्ताव रखा की कुल राज्यों की बजाय जाति राज्य कायम का डालो । द्वारिका के जाट राष्ट्र पर हम दो विपप्तियो का आक्रमण एक साथ देख कर प्रभाव क्षेत्र में यादवों का आपसी महायुद्ध और द्वारिका का जल में डूब जाना।
* अतः स्वभावः शेष बचे जाति को दूसरी जगह तलाश करने के लिए बढ़ना पड़ा । उत्तर प्रदेश के जिन गदर जाटों को आजकल हम मामूली सी हालत में देखते है। वे उष्णा ( शुक्राचार्य) के प्रदेश उष्णेई के पास बहने वाली गदर नदी के किनारे बहुत दिन रह चुके है।
- ओरिटाई और गेडरोसी
एरियन के इस हिस्से में रहने वाले एकमात्र लोगो का उल्लेख ओरिटाई और गेडरोसी है।
एक ग्रीक शब्द है, और हेरोडोटस द्वारा इस्तेमाल किए गए मूल शब्द परिकानी से मेल खाता है । और दिनों को आधुनिक बोलचाल के नाम से ब्राछी हार दर्शाया गया है।
दूसरी ओर पहाड़ों की हार श्रृंखला है जो अलग होती है लास बेला ओरिटाई का देश मकरन से जो ओरिटाई नाम का मूल श्रोत हो सकता है। जैसा कि हो सकता है ये दोनो लोग, ग्रेडसोई और ओरिटाई , इख्तियोफगोई संप्रदाय के अंतर्गत अति थे।
जो फारसी म्हिखोरन के गटिक समक्ष ” मछली खाने वाले” थे जो अभी भी आधुनिक मकरन में जीवित है।