Gull(गुल - गुलेरिया जाट)
जानकारी
- गुल – गुलेरिया जाट
गुलेरिया (गुल) गोत्र जाट है राजस्थान ,हरियाणा , मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश मिला। गुल कबीला अफगानिस्तान में पाया जाता है। कबीला पाकिस्तान में पाया जाता है जो गुलियाना शवपिंडी को नाम देता है।
गुलेर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एक प्राचीन पहाड़ी साम्राज्य था। यह वंश राजपूतों में भी पाया जाता है। मेहमूद गजनवी ( 997-1030 ई०) के आक्रमण के समय गुलेरिया वंश चौहान संघ का अभिन्न अंग था।
- मूल
गुलेरिया वंश का नाम हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के प्राचीन साम्राज्य गुलेर से लिया गया है |
- इतिहास
गुलेरिया वंश का इतिहास सातवीं शताब्दी से मिलता है। कहा जाता है कि लगभग सातवीं शताब्दी में गुलेर वंश का हिमाचल प्रदेश में राज्य था । गुलेर राज्य कांगड़ा के दक्षिण पश्चिम में स्थित था। इसकी राजधानी हरिपुर गुलेर थे।गुलेर की छोटी सरदारी कांगड़ा के मूल तने से मिलती थी।
गुलेर या हरिपुर की स्वतंत्रता की स्थापना हरिचंद्र ने लगभग 1400 ई० में की थी, जब उन्होंने कांगड़ा को अपने छोटे भाई कर्म चंद्र की सौप दिया था।
गुल शब्द सम्भव: गिल शब्द का अपभ्रंश है। गुल फूलों को भी कहते है।
अतः फूल के प्रदेश के निवासी गुल गुलेरिया, गुलेरिया कहलाए। इस गोत्र के जाट सालासर गांव जहां बालाजी हनुमान का धाम है। इस सालासर गांव में चौ० रूघाराम गुलेरिया अच्छे किसान है।
इसी सालासर में ढाका, राव, गोवारा, खिलेरी, ज्यानी तथा भांभू गोत्र के जाटों के 125 से भी अधिक घर है।
- गुलेर राज्य का इतिहास
गुलेर नियले हिमाचल में एक पूर्व औधनिवेशिक भारतीय पहाड़ी राज्य था। इसकी राजधानी हिमाचल प्रदेश के आधुनिक कांगड़ा जिले में हरिपुर गुलेर शहर थी।
राज्य की स्थापना 1415 में कांगड़ा के प्राचीन शाही परिवार के वंशज राजा हरिचंद ने की थी। राजा हरिचंद , गुलेर के प्रथम राजा 1415 ई० वह मूल रूप से 1415 तक कांगड़ा के राजा थे। लेकिन एक दिन शिकार करते समय वह एक सूखे कुएं में गिर गए, और उन्हें मृत मान लिया गया उनके भाई को तब कांगड़ा का राजा नामित किया गया था।
अतः उन्हें खोज लिया गया , लेकिन अपने अपीकारो के लिए उड़ने के बजाय, उन्होंने बाणगंगा नदी पर किले के नीचे के प्लेट पर हरिपुर शहर की स्थापना की : शादी की और समस्या थी।
* 1540- 1570 रामचंद ( पंधारवा शासक)
* 1570 -1605 जगदीश चांद
* 1605- 1610 विजय चंद
- गुलेरिया वंश द्वारा स्थापित गांव
हरिपुर गुलेर – हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में हरिपुर और गुलेर नामक घड़वा बस्ती की स्थापना गुलेरिया वंश द्वारा की गई थी राजा हरिचंद ने 1915 ई० में हरिपुर की साथपना की । पहले इसकी राजधानी गुलेर कस्बे में थी।
गुलेरिया – राजस्थान में चुरू जिले की सुजानग तहसील का गांव।
गुलेरिया नाम के दो गांव उत्तर प्रदेश में बदायू तहसील और जिले में है।
गुलेरिया : उत्तर प्रदेश में बरेली जिले की मीरगंज तहसील में नीम गुलेरिया के दो गांव है।
गुलेरिया गांव उत्तर प्रदेश के ज्योतिबा फुले नगर जिले की अमरोह तहसील में है।
गुलियाना शवल पिंडी : इस्लामाबाद से 62 km दक्षिण – पूर्व में पाकिस्तान के पंजाब के गुजर खान तहसील का एक शहर, जिसकी स्थापना 900 साल पहले गुल मोहम्मद ने की थी।
सुजानगढ़ के इतिहास में प्रथम आधार – शीला समाज के गुलेरिया गोत्र के पूर्वजों ने रखी थी , विक्रम संवत 1630 (1573 ई०) में डीडवाना मोलसर के पारा लापड़िया गांव से जाट गुलेरिया परिवार के दो भाईयो की ठाकुर के साथ – लाग – बाग के संबंध शीला समाज के गुलेरिया गोत्र के पूर्वजों ने रखी थी।
मंडोता गांव के प्यालदासित मारताड़ के समीप के गावों में डाका डालकर आ जाते थे।
गोपालपुर और मांडोत के आसपास के आपस में अनबन चलती थी।
जिसके कारण चार परिवार क्रमस: बासनीवाल, मेघवाल, नाई और माली ये गुलेरिया की ढाणी के पास आकर बस गए। जो ‘ पंच ढाणी ‘ के नाम से कहलाए।
- समाजसेवी जन
चौ० सूरजराम ढाका पूर्व सरपंच सालासर
चौ० बनाराम ढाका, सालासर
चौ० भालजी शव गोत्री जाट
चौ० नारायणराम जयानी
चौ० सूराजराम भांभू आदि प्रमुख व्यक्ति इस सालासर गांव में आबाद है