JAT PEOPLE

Tarad(तरड़ जाट)

जानकारी


  • मूल 

ताराद की उत्पत्ति उनके उपपुरुष तरवर ( तरवर) से हुई है। उनके वंशज वुदेजी ने वुदेर गांव की स्थापना की।

श्री रणबीर सिंह तरड़ हरियाणा जाट सभा के सक्रिय कार्यकर्ता महासचित पदाधिकारी वर्ष ( अगस्त 1998) चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में ( सर्विस) तोशाम हल्का में ढाणी मीरान गांव के निवासी अपने तरड़ गोत्र के बारे में लिखती हैं।

किसी भी जाति ( गोत्र) की उत्पत्ति के पीछे कुछ न कुछ तर्क अवश्य होता है परंतु इस उत्पत्ति का अंदाजा इतिहासकारों के तर्को या फिर गोत्रों से संबंधित बही भाटो को लिखी बहियो से लगाया जा सकता है हालांकि इन बाहियो में जहां 200- 400 साल से  पूर्व  लिखी जानकारी मिलनी असंभव है। बही भाट इतिहासकार भी इसे लिखने में असमर्थ है। इसी प्रकार कुछ तरड़ गोत्र के लोगो ने बिश्नोई संप्रदाय को अपना लिया  जो अब अपने को जाट न कहकर बिश्नोई जाति का बताने लगे है लेकिन वे है कि जाट तथा 20 और 9 कुल 29 नियमों को अपनाने से बिश्नोई समाज के सदस्य है तथा बिश्नोइंकोई जाति नहीं वह एक मजहब है। राजा राजवी के पुत्र जसरा ने जसरासर गांव बसाया और उससे पहले जहा वे खेती करते थे । खेती का कार्य उसके दोनो छोटे भाई गूंदा और थावरा करते थे।

तरद बताते है कि जसरासर 650 वर्ष पुराना गांव है इसे जसराव ने बसाया है। जसराव के पूर्वज दूरैर गांव से आए थे।यह पहले से डेरा डाले जोहिया राजपूत की जसरव के पूर्वजों का गांव में आना जाना अच्छा नहीं लगा।

जोहिया राजपूतो में और जसराव के पूर्वजों में घमासान युद्ध छिड़ गया।

इस युद्ध में जारव का सारा वंश खत्म हो गया |

  • इतिहास 

 पाकिस्तान में रहने वाले तारार बड़े पैमाने पर मुस्लिम है, जबकि भारतीय तारारबड़े पैमाने पर हिंदू और सिख है। इस वितरण को मुख्य रूप से 1947 में उपमघीप के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिसके बाद भारत बनने वाले क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम तारा पाकिस्तान चले गए।

पाकिस्तान  में रहने वाले तरार ज्यादातर सुजी है लेकिन उनमें से कुछ शिया भी है। तरार पंजाबी के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में से एक है और वे बहुत बहादुर और सम्मानित व्यक्ति थे।

राजस्थान में बीकानेर जिले की मोखा तेहसिलमें जसरासर बीकानेर  गांव की स्थापना जसरायनी तरड ने की थी। यह तरड़ गोत्र जाटों की उत्पत्ति ग्राम जसरासर से मानी जाती है -तरार  और पेंसिया जाट एक ही मूल के माने जाते है। जो पहले परिहार के नाम से जाने जाते थे। वे  जैसलमेर में मंडोर जिधपुर के पास मकाम पांचिया आए । वही से पेंसीया और तरार गोत्र की उत्पत्ति हुई। दोनो गोत्र राजस्थान के अलग अलग हिस्सों में रहने वाले एक ही जाट गोत्र है । तरार जाट मंडोर से जसरासर बीकानेर में साथानातृत हो गए। 

जिसे तरात जाटों के मूल गांव के रुप में माना जाता है और धीरे धीरे वे भी अलग अलग हिस्सों में चले गए।

राजस्थान ओर पंजाब 1 पेंसिया जाट मंडोर से जीधपुर 1 जयपुर , श्रीगंगनगर ओर अन्य भागी में साथानातरित हो गए । इनमे से कुछ पंजाब में भी रहे है।

जसरासर गांव की स्थापना संवत 1411 में जसराई तरड 1 जन्म संवत 1391 ने की थी । पहले जोहिया राजपूत इस क्षेत्र के निवासी थे।

यहां उस काल का एक प्राचीन कुआं है जिससे पीने का पानी मिलता है।

जोहिया राजपूतों ने इन लोगो को खेती के लिए यह बसने के लिए आमंत्रित किया। 

लेकिन वे मालासर में बसना चाहते थे। जोहिया के अनुरोध पर वे यहां आकर बस गए ।

जोहिया की दादी का नाम लावरी रखने के विवाद पर जोहिया और तरड़ जाटों के बीच युद्ध हुआ। जाटों ने अपनी कुटिया का नाम लावरी रखा इस युद्ध में सभी तराड़ जाट मारे गए, सिताय एक स्त्री के , जो ब्रह्मण के घर गई थी और बच गई।

इस वक्त जसराई  तीन साल की थी, जब वह 18 वर्ष का हुआ तो ब्राह्मणों ने जोहियाओ को शराब पिलाई और जब वे नशे में घूत्त हो गए तो तरड़ जाति ने उन सभी को मार डाला ।

वर्तमान में बड़ोदी भवन का स्थान तिवारी था। वे सभा यही बस गए और जसराई तरड़ के नाम पर गांव का नाम जसरासर रखा।

जसराय को पत्ती नागौर के गुढ़ा गांव की रॉड गोत्र की थी।

तराड़ कबीले द्वारा स्थापित गांव :

डूडोरिया  राजस्थान में बीकानेर जिले को लुणकर नसर तहसील में स्तिथ गांव की स्थापना डूडो जी तराड़ ने की थी।

जसरासर राजस्थान में बीकानेर जिले किन्नोखा तहसील में स्तिथ एक गांव है। यह तरड़ गोत्र का मुख्य गांव  है। सभी तराड़ गोत्र जाटों की उत्पत्ति ग्राम जसरासर से मानी जाती है। ताराद की उत्पत्ति उनके उपपुरुष तखर से हुई है । उनके वंशज डुडोजी ने डुडोरिया गांव की स्थापना की जसरासर गांव की स्थापना की जसरासर गांव की स्थापना संवत 1411  =1354 ई में जसराइ तरड़ ने की थी , जिनका जन्म संवत 1391 =1334 ई में हुआ था।

तरड़ो  का ताला = छोहतम तेहसी के एवम गांव में ।

थावरिया राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा तहसील का एक गांव है।

मणिवाली राजस्थान में श्रीगंगनागर जिले की सादुल शहर तहसील का एक गांव है । इस गांव की स्थापना 1853 ई० में कान्हाराम जी तरड़ ने की थी। इसका नाम MANI एक मुस्लिम महिला के नाम पर रखा गया था जी यहां छोटे तालाब पर रहती थी।


  • समाजसेवी जन

चौ० रिक्ताराम तरड़ का जन्म बीकानेर के गांव जसरासर में हुआ । आप स्वामी केशवानंद के संपर्क में आए। 2 जून 1942 की बीकानेर रियासत में पटवारी भी रहे।

नौकरी से त्यागपत्र देकर सामंतशाही के खिलाफ जन आंदोलन में सक्रिय हो गए।

 चौ० रतीराम जी तरड़ पुत्र

 चौ० नंदराम पी० मन्नीवाली  तहसील शाहदुलशहर जिला गंगनगर अच्छे समाज सेवी है।

चौ० रामप्रताप तरड पुत्र

चौ० स्यीकरण जी मु० पो० मन्नवाली

चौ० रामप्रताप तरड़ मु० पो० मन्नावली

चौ० हरिराम तरड़ आशाराम प्रतार 14 पगिया पट्टी कोलकाता 7

पश्चिमी बंगला जाट समाज के अच्छे समाजसेवी उघोगपति है।

Scroll to Top