जाट के लिए इतिहास बनाना कोई बड़ी बात नही है, क्योकि जाट वंश मे जन्म लेना किसी इतिहास से कम नही..
जाटों की उतपत्ति के बारे में बहुत सारी किवंदंतियां हैं। कुछ लोग जाटों की उतपत्ति भगवान शिव की जटाओं से, कुछ लोग यूरोप व कुछ लोग मिडल एशिया से मानते हैं। लेकिन आज के तथ्यों व उन्नत साइंस का यदि प्रयोग करें और डी. एन. ए. के आधार पर जाटों की उतपत्ति का विश्लेषण करें तो हम पाएंगें के हिन्दुस्तान (भारत) के जाटों का 60-70प्रतिशत डी. एन. ए. प्राचीन मैसिडोनिया क्षेत्र से मेल खाता है जिसमें ईरान, ईराक टर्की व सऊदी अरेबिया आते हैं, आज वहां की आबादी मुस्लिम धर्म की अनुयायी हैं और इतेफाक देखिए – उनके ओर हमारे गोत्र एक समान हैं।
समय के अनुसार जो जाट एक नस्ल होती थी अब वह नस्ल ना हो कर जाट जाति में परिवर्तित हो गई है। इसका मुख्य कारण जाटों द्वारा विभिन्न धर्मों को अपनाना है चाहे वो दबाव में हो या प्रेम से हो। आज मुख्यतया जाट सभी धर्मों में हैं जैसे कि हिन्दू धर्म मे सनातनी व आर्य जाट, मुस्लिम धर्म मे शिया सुन्नी जाट, सिख धर्म में अकाली, बापे, निरंकारी आदि सारे जाट हैं। क्रिश्चयन धर्म में बापिस्ट, रोमन, कैथोलिक व ऑर्थोडॉक्स जाट हैं।
एक समय तक जाट किसी भी धर्म से हो वह मुख्यतः किसान व फौज में ज्यादा सक्रिय होते थे लेकिन आजकल किसानी ओर फौज के अलावा ऐसा कोई भी क्षेत्र नही हैं जिसमे जाट भाई आगे ना हों चाहे व्यापार, डिजिटल मीडिया, राजनीती, सिविल सर्विसेज, मेडिकल साइंस, साइंस, एजुकेशन आदि।